भोग प्रधान आकांक्षाएँ रखने से मनुष्यों की अतृप्ति बढ़ जाती है और वे अधिक सुख सामग्री की माँग करते हैं।
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(उदा.-ययाति) २. हिन्दू तत्त्ववेत्ताओं ने इस त्रुटि को देखकर तय किया कि स्थायी सुखों का केन्द्र सुख सामग्री नहीं आन्तरिक श्रेष्ठता है।
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जीवन है वरदान या कि अभिशाप न जाना जाता है, है दुर्गम इसकी गली-गली पथ कोई खोज न पाता है! सुख सामग्री भी बन जाती...
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, इतना होने पर भी वे सुन्दर और हवादार हेै, बहुत से मकानों में चौक और बाग होते हेै जिनमें सब प्रकार की सुख सामग्री उपलब्ध रहती है, जो मकान घास फूस के बने होते है वहां भी अच्छी सफेदी की हुई होती हैंअमीरों के मकान प्राय: नदी के किनारे और षहर के बाहर हैं.